जब गुरूदक्षिणा के रूप में शाह मुश्ताक़ को श्रीबाबू ने बनाया विधायक

 शाह मुश्ताक़ साहब सरकारी नौकरी करते थे, तब एक दिन श्रीबाबू ने उन्हें अपने दफ़्तर पर बुलाया और कहा के

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हाशिम रज़ा जलालपुरी का कारनामा- कृष्ण के लिए मीरा की मोहब्बत वही है, मगर ज़ुबान नई है… मीराबाई उर्दू शायरी में

हाशिम रज़ा जलालपुरी से मेरा परिचय कब और कहाँ हुआ था ये तो याद नहीं है लेकिन इतना ज़रूर याद

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