असहयोग और ख़िलाफ़त आंदोलन के समय क़ाज़ी मुहम्मद हक़ साहब ‘क़ाज़ी’ मण्डावरी ने “क़ौमी होली” नाम से एक नज़्म लिखी थी; जिसे बाग़ीयाना मान कर अंग्रेज़ों ने पाबंदी लगा दी थी.
A ‘Nationalist Poster’ of 1920s shows domestic politics and struggle during the British rule.
Via : History of Indian Subcontinent pic.twitter.com/4KTzpGDaG3
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) February 16, 2020
आज जग में मची है धूम
स्वराज ले लो!
हिन्दी भाई हैं सब मज़मूल
स्वराज ले लो!
‘गाँधी’ ‘शौकत’ ‘मुहम्मद अली’
स्वराज ले लो!
तुमरे चरनों को लूंगा मैं चूम
स्वराज ले लो!
उनको दो अब हिन्द से निकाल
स्वराज ले लो!
गोरे चमड़े के लंदन के बूम
स्वराज ले लो!
हम रिज़ाकार हैं कांग्रेस के
स्वराज ले लो!
पुर अमन जिसका है मफ़हूम
स्वराज ले लो!
अपना शेवा सदाक़त है ‘क़ाज़ी’
स्वराज ले लो!
फिर भला कैसे हों मग़मून
स्वराज ले लो!