मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली —अंग्रेज़ों के नाक में दम करने वाला एक अनोखे क्रांतिकारी
20 सितम्बर 1927 की रात मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली की आख़िरी रात थी. इस रात अपने साथियों से अपने पूरे होशों-हवास
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Read morePeer concluded his speech by saying, ‘‘You may hang me, or such as me, every day, but thousands will rise in my place, and your object will never be gained.”
Read moreअमेरिका में भारत की आज़ादी के लिए एक संगठन की बुनियाद डाली जाती है, जिसका मक़सद 1857 की तरह
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