कौन था पटना सचिवालय गोली कांड का आठवां शहीद?
Pushya Mitra
आज अगस्त क्रांति दिवस है. 76 साल पहले आज ही भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी. पूरे देश की तरह बिहार भी इस आंदोलन में एक झटके में कूद पड़ा था और मजह दो दिन बाद 11 अगस्त को पटना सचिवालय में जो घटना घटी वह पूरे देश के लिए चकित कर देने वाली थी. सचिवालय पर झंडा फहराने की कोशिश में सात स्कूली छात्र एक-एक कर ब्रिटिश पुलिस की गोलियों का शिकार हो गये. अपने झंडे की शान के लिए जान देने वाले इन निहत्थे छात्रों की याद में आज भी पटना विधानसभा के सामने शहीद स्मारक बना है, जहां प्रसिद्ध मूर्तिकार देवप्रसाद रायचौधुरी की इन सात शहीदों की दुर्लभ मूर्ति लगी है. हम सब जानते हैं कि ये शहीद सात ही थे. मगर क्या ये सचमुच सात ही थे. क्योंकि सरकारी दस्तावेजों के आधार पर लिखी गयी एक किताब कहती है कि वे सात नहीं आठ थे. सात की मत्यु 11 अगस्त को हुई थी, आठवें ने 12 अगस्त को अस्पताल में दम तोड़ा. इसलिए आठवें की गिनती नहीं हुई और किसी ने उसे याद नहीं रखा.
बिहार राज्य अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित पुस्तक अगस्त क्रांति जिसके लेखक प्रो. बलदेव नारायण हैं ने यह किताब लिखी है. इस पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि 11 अगस्त को पुलिस की गोली में सात नहीं आठ छात्र शहीद हुए थे. ऐसी जानकारी उन्होंने कुछ सरकारी दस्तावेजों के आधार पर दी है. वे लिखते हैं कि उस रोज की गोली बारी में 24 लोग घायल हुए थे, सात की उसी रोज मौत हो गयी. तीन की घटना स्थल पर, एक की अस्पताल जाते वक्त और तीन की अस्पताल में इलाज के दौरान. शाम में इन सातों शवों को लेकर पटना में जुलूस निकला और उनका एक साथ गंगा किनारे दाह संस्कार किया गया. इसलिए सात शहीद शब्द प्रचलित हो गया. मगर अगले ही सुबह अस्पताल में एक और जख्मी ने दम तोड़ दिया. उसके बारे में किसी को कुछ याद नहीं रहा. दुर्भाग्य से आज हमें उनका नाम भी मालूम नहीं.
वह छात्र महज एक दिन बाद शहीद होने की वजह से इन सातों के बीच अपनी गिनती कराने से चूक गया. आज हम इन सात शहीदों का नाम और उनका पता जानते हैं. उनके गांव और स्कूल में हर साल उन्हें याद किया जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है. मगर आठवां आज भी गुमनाम है.
Like!! I blog quite often and I genuinely thank you for your information. The article has truly peaked my interest.