ज़फ़र हमीदी, एक हाफ़िज़ जो इंग्लैंड में मेडिकल पढ़ाई के दौरान शायर बन गया

ज़फ़र हमीदी का असल नाम मुहम्मद सादउल्लाह हमीदी था। इनका जन्म 26 अगस्त 1926 को बिहार के सीतामढ़ी ज़िला के

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अरशद काकवी, सहते रहे हैं ज़ुल्म हम अहल-ए-ज़मीन के ~ इल्ज़ाम आसमान पे धरते रहे हैं हम

सैयद शाह रशीद उर रहमान का जन्म अप्रैल 1926 को बिहार के जहानाबाद ज़िला के काको में हुआ था, वालिद

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पाकिस्तान में बैठ कर जीवन भर बिहार के एक क़स्बे को याद करने वाले मोईन अरवली

मोईनउद्दीन अहमद की पैदाइश 30 शाबान 1339 हिजरी यानी 1921 को बिहार के अरवल क़स्बे में हुआ था, उस समय

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दंगो में अपना सब कुछ लुटा चुका एक मुसलमान जब 11 साल बाद पहुँचा अपने गाँव

जब कभी मेल या एक्सप्रेस ट्रेन से फ़तुहा स्टेशन आने वाला होता, जहां से उस समय मार्टिन कंपनी की छोटी

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कुछ क़ैद में पड़े हैं, हम क़ब्र में पड़े हैं, दिन ख़ून का हमारे प्यारो न भूल जाना…

ये नज़्म “शहीदों के सन्देश” के नाम से एक नामालूम इंक़लाबी शायर ‘प्रेमी’ ने 1930 में लिखा था, जो दिल्ली

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दिनकर : अपने समय का सूर्य

  भुलक्कड़ कालेलकर दसवीं कक्षा की हिंदी पाठ्य-पुस्तक में काका साहब कालेलकर का कोई निबंध पढ़ना था। इसलिए कायदे से

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