बेगम हसरत मोहानी, शौहर के लिए अदालत में केस लड़ने वाली क्रांतिकारी महिला

ये कहा जाता है की अगर निशात उन निशा, ज़ुलैख़ा, और कमला नेहरू नहीं होती, तो मुमकिन था हसरत किसी

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मौलवी ख़ुर्शीद हसनैन : वकालत से सियासत तक (जो चुप रहेगी ज़ुबान खंजर, लहू पुकारेगा आस्तीं का…)

मौलवी ख़ुर्शीद हसनैन उन चुनिंदा लोगों में हैं जिन्होने अपने परिवार के विरुद्ध जा कर अंग्रेज़ों की मुख़ालफ़त की, मौलवी

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