जिगर मुरादाबादी :- कहते हैं, सबब रुस्वाई का होती है मैकशी, जिगर को मैकशी ने मगर मुम्ताज़ कर दिया।

  आलम क़ुरैशी जिगर मुरादाबादी, एक एैसे शायर, जिन्होंने हुस्न को टूटकर चाहा, जी जोड़ मुहब्बत की और जब ख़ुद

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जिगर मुरादाबादी का वो कलाम जिसे सुन जो जहाँ था वही खड़ा रह गया…. एक रिंद है और मदहत ए सुल्तान ए मदीना…..

अजमेर मे नात का मुशायरा था, लिस्ट बनाने वालों के सामने मुशकिल ये थी के “जिगर मुरादाबादी” साहब को इस

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