मदनलाल ढ़ींगरा को अंग्रेज़ अफ़सर विलियम हट कर्जन वायली के हत्या करने के आरोप में 25 वर्ष की उम्र में फांसी पर चढ़ा दिया गया था.
क्रन्तिकारी मदनलाल ढींगरा का जन्म 18 सितम्बर सन् 1883 को पंजाब प्रान्त के एक सम्पन्न हिन्दू परिवार में हुआ था। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था और जब मदनलाल को भारतीय स्वतन्त्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में लाहौर के एक कालेज से निकाल दिया गया तो परिवार ने मदनलाल से नाता तोड़ लिया। मदनलाल को जीवन यापन के लिये पहले एक क्लर्क के रूप में, फिर एक तांगा-चालक के रूप में और अन्त में एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पड़ा। कारखाने में श्रमिकों की दशा सुधारने हेतु उन्होने यूनियन (संघ) बनाने की कोशिश की किन्तु वहाँ से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होंने मुम्बई में काम किया फिर अपनी बड़े भाई की सलाह पर सन् 1906 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गये जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कालेज लन्दन में यांत्रिकी अभियांत्रिकी में प्रवेश ले लिया। विदेश में रहकर अध्ययन करने के लिये उन्हें उनके बड़े भाई ने तो सहायता दी ही, इंग्लैण्ड में रह रहे कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से भी आर्थिक मदद मिली थी।
Postage Stamp on #MadanLalDhingra an Indian revolutionary, who assassinated Sir William Hutt Curzon Wyllie, a British official, cited as one of the first acts of revolution in the Indian independence movement in the 20th century.
Stamp Issued on 28 December 1992. pic.twitter.com/HPjdVCUotU
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) August 17, 2018
लन्दन में धींगड़ा भारत के प्रख्यात राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर एवं श्यामजी कृष्ण वर्मा के सम्पर्क में आये। वे लोग धींगड़ा की प्रचण्ड देशभक्ति से बहुत प्रभावित हुए। ऐसा विश्वास किया जाता है कि सावरकर ने ही मदनलाल को अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था का सदस्य बनाया और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया। मदनलाल धींगड़ा इंडिया हाउस में रहते थे जो उन दिनों भारतीय विद्यार्थियों के राजनैतिक क्रियाकलापों का केन्द्र हुआ करता था। ये लोग उस समय खुदीराम बोस, कन्हाई लाल दत्त सतिन्दर पाल और काशी राम जैसे क्रान्तिकारियों को मृत्युदण्ड दिये जाने से बहुत क्रोधित थे। कई इतिहासकार मानते हैं कि इन्ही घटनाओं ने सावरकर और धींगड़ा को सीधे बदला लेने के लिये विवश किया।
Last words of #MadanLalDhingra in the english court. pic.twitter.com/F52MtAA5mm
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1 जुलाई सन् 1909 की शाम को इंडियन नेशनल एसोसिएशन के वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिये भारी संख्या में भारतीय और अंग्रेज इकठे हुए। जैसे ही भारत सचिव के राजनीतिक सलाहकार सर विलियम हट कर्जन वायली अपनी पत्नी के साथ हाल में घुसे, ढींगरा ने उनके चेहरे पर पाँच गोलियाँ दागी; इसमें से चार सही निशाने पर लगीं। उसके बाद धींगड़ा ने अपने पिस्तौल से स्वयं को भी गोली मारनी चाही किन्तु उन्हें पकड़ लिया गया।
#MadanLalDhingra, an early revolutionary, became an integral part of the Indian independence struggle. He was executed by hanging on this day in 1909 for killing Sir William Hutt Curzon Wyllie in London, becoming a role model for later revolutionaries such as #BhagatSingh. pic.twitter.com/Vl5oXrLznm
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23 जुलाई 1909 को धींगड़ा मामले की सुनवाई पुराने बेली कोर्ट में हुई। अँग्रेज लुटेरों की अदालत ने उन्हें सजा ए मौत का आदेश दिया और 17 अगस्त सन् 1909 को लन्दन की पेंटविले जेल में फांसी पर लटका कर उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी और हमारे महान क्रांतिकारी मदनलाल धींगड़ा शहीद होकर अमरत्व को प्राप्त हो गये।
अशोक पूणिया