कृपाण बहादुर ‘सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला’ : रियासती प्रजामंडल का नायक
तस्वीर मे आप उर्दु में एक बैनर देख रहे हैं! जिस पर लिखा है ‘जब तक शहीद सरदार सेवासिंह ठीकरीवाल के क़ातिल महराजा पटियाला को सज़ा हो(दे) कर प्रजा के मुतालबात(मांग) पूरे नही किये जाते; तब तक हम आराम से नहीं बैठ सकते! साथ में दो ख़ाली कुर्सी है, जो उस शख़्स के याद में ख़ाली है, जो उनका लीडर था; और उनकी ख़ातिर शहीद हो गया।
तस्वीर मे आप उर्दु में एक बैनर देख रहे हैं! जिस पर लिखा है 'जब तक शहीद #SardarSewaSinghThikriwala के क़ातिल महराजा पटियाला को सज़ा हो(दे) कर प्रजा के मुतालबात(मांग) पूरे नही किये जाते; तब तक हम आराम से नहीं बैठ सकते!#SewaSinghThikriwala#PrajaMandalMovement#PrajaMandal pic.twitter.com/sOMksbDzQ3
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 15, 2018
1882 में संगरूर ज़िला के बरनाला से लगभग नौ मील दूर ठीकरीवाल में एक बाअसर शख़्स श्री देवसिंह के घर पैदा हुए सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला हिन्दुस्तान की जंग ए अाज़ादी के अज़ीम रहनुमा थे; जो पंजाब के अकाली दल और रियासती प्रजामंडल को लीड कर रहे थे।
अमृतसर से निकलने वाले दैनिक अख़बार ‘क़ौमी दर्द’, व लाहौर एवं अमृतसर से निकलने वाले साप्ताहिक अख़बार ‘रियासती दुनिया’ एवं ‘देशवर्दी’ की स्थापना करने वाले सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला लगातार अवाम की आवाज़ उठाते रहे! और उन्हे जागरुक करते रहे!
21 फ़रवरी 1921 के ननकाना साहब में हुए क़त्ल ए आम के बाद पटियाला में अकाली जत्था की स्थापना करके शिरोमणि अकाली दल एवं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से संबंध जोड़कर गुरुद्वारा सुधार के लिए जद्दोजेहद करने वाले सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला ने 17 जुलाई 1927 को कुठाला में हुए क़त्ल ए आम के बाद रज़वाड़ाशाही समाप्त करने और रियासती प्रजामंडल की स्थापना के लिए लोगों को लगातार प्रेरित किया।
सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला अपने हक़ की अवाज़ उठाते रहे और अपने हक़ के लिए लगातार संघर्ष करते रहे; इस लिए इन्हीं गतिविधियों के कारण उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा, और एक समय वो भी आया जब उन्होने ज़ुल्म सहते हुए जेल में ही दम तोड़ दिया।
#SardarSewaSinghThikriwala (1882–1935) was a leader of the #PrajaMandalMovement in Patiala, a former princely state. He was the President of the Riyasat #ParjaMandalParty during the reign of Maharaja Bhupinder Singh of Patiala and the British.#SewaSinghThikriwala #PrajaMandal pic.twitter.com/K0XIKguUFz
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 15, 2018
सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला के जेल यात्रा की शुरुआत सन् 1923 में होती है जब शाही क़िला, लाहौर में अकाली नेताओं के साथ नज़रबंद हुए। सन् 1926 में बग़ावत के जुर्म में पटियाला जेल में साढे तीन साल क़ैद रहे। फिर सन् 1930 में एक बार फिर बग़ावत के जुर्म में पांच हज़ार रुपया जुर्माना और 6 साल क़ैद की सज़ा हुई; पर अनशन पर बैठने की वजह कर चार माह में ही छोड़ दिये गए। फिर 1931 में संगरूर सत्याग्रह के वजह कर 4 महीने नज़रबंद रहे ! रियासती प्रजामंडल की बढ़ती मक़बूलियत देख पटियाला महराज घबरा गए और उन्होने पहले तो समझौते की कोशिश की मगर सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला पर कोई ख़ास असर नही पड़ा, वो लगातार अपने मिशन पर लगे रहे! मार्च 1933 में पटियाला राज्य के ख़िलाफ़ नारे लगाने के जुर्म में दिल्ली में दो दिन क़ैद रहे। तब महराज के लोगों ने साजिश शुरु की और आख़िर 25 अगस्त, 1933 को ‘पटियाला हिदायतों की ख़िलाफ़वर्ज़ी’ के जुर्म में उन्हे पटियाला पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया। दस हज़ार रुपया जुर्माना और आठ साल क़ैद बा मुशक़्कत की सज़ा हुई। सरदार सेवासिंह ठीकरीवाला जेल में हो रहे ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अनशन पर बैठे और आख़िर 20 जनवरी 1935 को पटियाला केंद्रीय जेल में इंतक़ाल कर गए।