गंगा जमुनी तहज़ीब के माथे का झूमर- फिराक़ गोरखपुरी

सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों

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ख़्वाजा सैयद रियाज़_उद_दीन अतश : पटना से शिकागो तक बज़म_ए_ सुख़न को पहुँचाने वाले शायर

रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा

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अल्लामा जमील मज़हरी – एक अज़ीम फ़नकार जिसे अंग्रेज़ों ने जेल की सलाख़ों के पीछे रखा।

  जमील मज़हरी का असल नाम सैयद काज़िम अली था। वालिद का नाम ख़ुर्शीद हसनैन था। उनकी पैदाइश सितम्बर 1904

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एहसान अज़ीमाबादी ~ बिहार का एक गुमनाम शायर

एहसान हसन खां एहसान–इतिहास के पन्नों से बिहार की धरती, सदियों से शिक्षा, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में समृद्ध

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ज़फ़र हमीदी, एक हाफ़िज़ जो इंग्लैंड में मेडिकल पढ़ाई के दौरान शायर बन गया

ज़फ़र हमीदी का असल नाम मुहम्मद सादउल्लाह हमीदी था। इनका जन्म 26 अगस्त 1926 को बिहार के सीतामढ़ी ज़िला के

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अरशद काकवी, सहते रहे हैं ज़ुल्म हम अहल-ए-ज़मीन के ~ इल्ज़ाम आसमान पे धरते रहे हैं हम

सैयद शाह रशीद उर रहमान का जन्म अप्रैल 1926 को बिहार के जहानाबाद ज़िला के काको में हुआ था, वालिद

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ग़ुबार भट्टी, एक हकीम जिन्हें शेर ओ शायरी विरासत में मिली।

ग़ुबार भट्टी का असल नाम मुश्ताक़ अहमद था। जिनकी पैदाइश जुलाई 1920 को बाराबंकी में हुई थी। उनके वालिद का

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Nawab Syed Mohammad Hassan Khan ‘Rashki’ : 200 years and a legacy concealed.

  As end of the 1700s approached, Azeemabad became empty of the first generation Urdu poets, such as Ali Ibrahim

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पाकिस्तान में बैठ कर जीवन भर बिहार के एक क़स्बे को याद करने वाले मोईन अरवली

मोईनउद्दीन अहमद की पैदाइश 30 शाबान 1339 हिजरी यानी 1921 को बिहार के अरवल क़स्बे में हुआ था, उस समय

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दंगो में अपना सब कुछ लुटा चुका एक मुसलमान जब 11 साल बाद पहुँचा अपने गाँव

जब कभी मेल या एक्सप्रेस ट्रेन से फ़तुहा स्टेशन आने वाला होता, जहां से उस समय मार्टिन कंपनी की छोटी

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फ़ैज़ : जिसने कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया….

माजिद मजाज़ हुस्न, मोहब्बत, इंसानी दोस्ती, अदल-ओ-इंसाफ़ का मसीहा और जुर्रत-ए-इज़हार का दूसरा नाम फ़ैज़ अहमद फ़ैज़! उर्दू शायरी को

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जब देशभक्ती गीत लिखने की वज़ह कर ‘कवि प्रदीप’ को अरसे तक भूमिगत रहना पड़ा…

आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है प्रसिद्ध भारतीय कवि

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शाद अज़ीमाबादी :- वो इज़्ज़त-ओ-शोहरत नहीं मिली जिसके वो मुस्तहिक़ थे।

8 जनवरी 1846 को बिहार के अज़ीमाबाद में पैदा हुए सैयद अली मोहम्मद को दुनिया आज शाद अज़ीमाबादी के नाम

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