हाशिम रज़ा जलालपुरी का कारनामा- कृष्ण के लिए मीरा की मोहब्बत वही है, मगर ज़ुबान नई है… मीराबाई उर्दू शायरी में

हाशिम रज़ा जलालपुरी से मेरा परिचय कब और कहाँ हुआ था ये तो याद नहीं है लेकिन इतना ज़रूर याद

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महात्मा गांधी और बलिया

Shubhneet Kaushik फरवरी 1922 में महात्मा गांधी ने गुजराती पत्रिका ‘नवजीवन’ में एक लेख लिखा, शीर्षक था ‘बलिया में दमन’।

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राष्ट्रवाद का पैमाना : फणीश्वरनाथ रेणु जो बेहिचक भारत माता के साथ नेपाल को भी अपनी माँ बोलता था।

  Shubhneet Kaushik “मैला आँचल” के अप्रतिम रचनाकार रेणु को याद करते हुए आज “मैला आँचल” और “परती परिकथा” सरीखी

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क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद को याद करते हुए

Shubhneet Kaushik “खुली छत पर एक व्यक्ति चटाई पर उघारे बदन पालथी लगाए अकेले बैठा हम लोगों की प्रतीक्षा कर

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नेहरू और निराला : रामचंद्र गुहा

कई सालों पहले, समाजशास्त्री त्रिलोकी नारायण पाण्डेय ने मुझसे एक घटना का ज़िक्र किया था, जो जवाहरलाल नेहरू और हिंदी

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चौरी चौरा : इतिहास और स्मृति के गलियारे से

Shubhneet Kaushik इतिहासकार शाहिद अमीन की किताब ‘इवैंट, मेटाफर, मेमोरी चौरी चौरा 1922-1992’, महज़ असहयोग आंदोलन के दौरान 1922 में

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स्मृतियों के श्वेत-श्याम पटल पर जीवन का कोलाज रचती फ़िल्म : ‘रोमा’

Shubhneet Kaushik फ़िल्म ‘रोमा’ सत्तर के दशक के मेक्सिकन समाज की कहानी है। यह मेक्सिको, ‘रोमा’ के निर्देशक अल्फोंसो कुआरोन

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कैलेंडर के इस झोल पर क्या कभी आपने ग़ौर किया है।

दुनिया में बहुत सारे कैलेंडर, लगभग हर क़ौम और हर बड़े मज़हब का अपना अपना कैलेंडर है, मुसलमानों का अपना

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बाबरी विध्वंस: राष्ट्रीय शोक दिवस, आडवाणी की गिरफ़्तारी व लालू की धर्मनिरपेक्ष राजनीति की प्रासंगिकता

जयन्त जिज्ञासु पिछले कुछेक बरसों में इस देश की साझा विरासत को जिस तरह कुचला गया है, दंगाई माहौल में

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हिन्दुस्तान की जंग ए आज़ादी के अज़ीम रहनुमा मौलाना शौकत अली हैं इस जगह दफ़न

  पिछले दिनो दिल्ली के जामा मस्जिद के पास मौजूद मौलाना आज़ाद के मज़ार पर हाज़री देने का मौक़ा मिला।

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