बंगाल से बिहार का पृथक्करण : सच क्या झूठ क्या
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता
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Read more19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों
Read moreदसवीं की हिंदी की किताब में जगदीश चंद्र माथुर का एक पाठ पढ़ना होता था। शीर्षक था-‘एक जन्मजात चक्रवर्ती’। इस
Read moreबांकीपुर में संपन्न भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 27 वें अधिवेशन ने बिहार के राजनैतिक जीवन में उथल-पुथल मचा दी
Read moreसन् 1846 ईस्वी के पूर्व बिहार में कहीं भी मुद्रणालय की नींव नहीं पड़ी थी। बैप्टिस्ट मिशन के अधिकारियों
Read moreआज हम जिस संस्कृत भाषा और साहित्य की प्राचीनता पर गर्व करते हैं, उसकी खोज विदेशियों ने ही की-
Read moreप्रेमचंद की रचना की भाषा किसान-चेतना और संघर्ष की भाषा है। उन्हें समझौते की भाषा में तनिक विश्वास न
Read moreभुलक्कड़ कालेलकर दसवीं कक्षा की हिंदी पाठ्य-पुस्तक में काका साहब कालेलकर का कोई निबंध पढ़ना था। इसलिए कायदे से
Read moreबिहार की प्रशासनिक पहचान का विलोप 1765 में हो गया जब ईस्ट इंडिया कम्पनी को दीवानी मिली. उसके बाद
Read moreबंगाल से बिहार को अलग किये जाने की घटना को ‘बिहार की जनता की जीत’ एवं ‘हिंदू-मुस्लिम एकता’ के
Read moreबिहार में किसान आंदोलन की एक समृद्ध परंपरा रही है। चंपारण का सन् 1917 का किसान आंदोलन इसी की
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