जब 1913 में अली इमाम और मज़हरुल हक़ ने दिलाया कानपूर के लोगों इंसाफ़
1 जुलाई 1913 को कानपूर के मछली बाज़ार स्थित मस्जिद को भारी विरोध के बावजुद अंग्रेज़ अफ़सर HGS Tyler (ज़िला मैजिसट्रेट) और JS Meston (गवर्नर यू.पी.) ने शहीद करवा दिया; जिसके विरोध मे कानपूर सहीत पुरे मुल्क भर मे एहतेजाज हुआ और इसी कड़ी मे एक एहतेजाजी जलसा 3 अगस्त 1913 को ईदगाह मैदान कानपूर मे हुआ; जिसकी क़यादत मौलाना आज़ाद सुब्हानी रब्बानी कर रहे थे। इस जलसे मे तक़रीबन पचास हज़ार लोग शरीक हुए थे; जिस पर अंग्रेज़ो ने गोली चलवा दी थी; जिससे मौक़ा ए वारदात पर 70 लोग शहीद हो गए थे। साथ ही दफ़ा 144, 333 ताज़ीरात ए हिन्द के तहत सैकड़ों लोग गिरफ़्तार भी कर लिए गए। मौलाना आज़ाद सुब्हानी दफ़ा 124A, 153A के तहत गिरफ़्तार किये गए। मामला काफ़ी नाज़ुक था; हुकुमत के ख़िलाफ़ कोई भी वकील केस लड़ने को आगे नही आया; तब मौलाना मज़हरुल हक़ ने इस केस की पैरवी की और उस समय सर अली इमाम अपने ओहदे का इस्तमाल कर अंग्रेज़ो पर ये दबाव डाला के वोह तमाम मुक़दमात को वापस लें और लोगों को रिहा करें। क्युं के 1911 में सर अली इमाम भारत के गवर्नर जनरल के एग्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य बन चुके थे और फिर इस एग्जीक्यूटिव कौंसिल के उपाध्यक्ष। तब उस समय भारत का गवर्नर जनरल वाईसराय लार्ड हार्डिंग ख़ुद सर अली इमाम के साथ 13-14 अक्तुबर 1913 को मौक़ा ए वारदात का दौरा किया और पुरी जानकारी लेते हुए तमाम केस को वापस ले लिया और इसके बाद लोग रिहा कर दिये गए। और साथ ही उसने मस्जिद का दौरा भी किया और उस जगह वापस मस्जिद बनाने की इजाज़त भी दे दी। इस पुरे वाक़िये पर नज़र दौड़ेने के बाद कहा जा सकता है के सर अली इमाम और मौलाना मज़हरुल हक़ की वजह कर शहीदों का ख़ून ज़ाया नही गया। मौलाना मज़हरुल हक़ की हिम्मत को देख काफ़ी तादाद में वाकील उनकी मदद करने आगे आये जिनमे एक नाम सैयद महमूद का है जो बाद मे उनके दामाद भी बने! जंग ए आज़ादी के अज़ीम रहनुमा मौलाना मग़फ़ूर अहमद ऐजाज़ी के हवाले से एक मशहूर क़िस्सा सुनने को मिलता है, जिसमे मछली बाज़ार मस्जिद गोलीकांड केस जीतने के बाद मौलाना मज़हरुल हक़ कानपूर आते हैं, बड़ी तादाद में लोग उनके इस्तक़बाल में मौजूद रहते हैं, वो रेलवे स्टेशन से बग्घी पर सवार होते हैं, पर जैसे ही बग्घी कुछ आगे बढ़ती है, कानपूर शहर के लोग उनके बग्घी को रोक देते हैं, और उस जुड़े घोड़े को आज़ाद कर देते हैं, और ख़ुद ही बग्घी को ख़ैंच कर पुरे शहर मे घुमाते हैं! मौलाना ज़फ़र ने “ज़मीनदार” और मौलाना आज़ाद ने “अल हेलाल” में इस मछली बाज़ार मस्जिद गोलीकांड केस को बहुत सलीक़े से कवर किया है!