मेंडलीव की आवर्त सारणी के 150 वर्ष


Share this Post on :

Shubhneet Kaushik

इस वर्ष मेंडलीव द्वारा 1869 में निर्मित आवर्त सारणी के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने आधुनिक विज्ञान में आवर्त सारणी के महत्त्व को रेखांकित करते हुए वर्ष 2019 को ‘आवर्त सारणी का अंतरराष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया है। दिमित्री मेंडलीव ने 1869 में ही ‘जर्नल ऑफ द रशियन केमिकल सोसाइटी’ में छपे अपने लेख में पहली बार आवर्त सारणी प्रकाशित की थी। मेंडलीव द्वारा आवर्त सारणी का विकास दर्शाता है कि वैज्ञानिक खोजें एक निरंतरता में संभव होती हैं। मसलन, मेंडलीव (1834-1907) की आवर्त सारणी की पूर्व-पीठिका उन्नीसवीं सदी के आरंभिक दशकों से बनने लगी थी।

इस संदर्भ में डॉबेराइनर, शानकोर्त्वा और न्यूलैंड सरीखे वैज्ञानिकों के प्रयास उल्लेखनीय हैं। जर्मन रसायनविद डॉबेराइनर ने 1829 में समान भौतिक एवं रासायनिक गुणों वाले तीन तत्त्वों के समूहों को त्रिक में व्यवस्थित किया। इसे ही ‘त्रिक का नियम’ (लॉ ऑफ ट्रायड्स) कहा गया। वर्ष 1862 में फ्रांसीसी भूगर्भवेत्ता अलेक्ज़ेंडर एमिल दे शानकोर्त्वा ने तत्त्वों को बढ़ते हुए परमाणु-भार के क्रम में व्यवस्थित किया। उन्होंने तत्त्वों की वृत्ताकार सारणी भी बनाई। शानकोर्त्वा द्वारा वृत्ताकार सारणी बनाए जाने के तीन साल बाद अंग्रेज़ रसायनविद जॉन न्यूलैंड ने तत्त्वों को उनके परमाणु भार के अनुसार व्यवस्थित करते हुए ‘अष्टक नियम’ (लॉ ऑफ ऑक्टेव्स) की संकल्पना प्रस्तुत की। न्यूलैंड द्वारा बनाए गए अष्टकों में पहले और आठवें तत्त्व के गुण एकसमान थे।

इन पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों के प्रयासों ने मेंडलीव की आवर्त सारणी की राह तैयार की। 1869 में तैयार की गई मेंडलीव की आवर्त सारणी में यह सुझाया गया कि जब तत्त्वों को बढ़ते हुए परमाणु-भार के अनुसार एक क्रम में व्यवस्थित किया जाए, तब नियमित अंतराल के बाद उनके भौतिक व रासायनिक गुणों में समानता देखने को मिलती है। दूसरे शब्दों में, ‘तत्त्वों के गुणधर्म उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।’ मेंडलीव के ही समकालीन रहे जर्मन वैज्ञानिक लोथर मेयर ने भी तत्त्वों को आवर्त सारणी में व्यवस्थित करने पर गहरा शोध किया था।

मेंडलीव की आवर्त सारणी की एक ख़ास विशेषता यह भी थी कि उन्होंने अपनी वैज्ञानिक दृष्टि और सूझ के आधार पर उस समय अज्ञात रहे तत्त्वों के लिए सारणी में न सिर्फ रिक्त स्थान छोड़े थे, बल्कि कुछ अज्ञात तत्वों के गुणों का पूर्वानुमान भी लगाया था। जो आगे चलकर बिलकुल सटीक साबित हुआ। बाद में मेंडलीव के सम्मान में परमाणु-क्रमांक 101 वाले तत्त्व का नाम ‘मेंडलीवियम’ रखा गया। जिसकी खोज अमेरिकी वैज्ञानिक ग्लेन टी. सिबर्ग ने की थी।

यूएन द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार वर्ष 2019 कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजों की वर्षगांठ का भी साल है। मसलन इस वर्ष जहाँ फ़ासफोरस की खोज के 350 वर्ष पूरे हो रहे हैं। वहीं लैवोजियर द्वारा 1789 में 33 रासायनिक तत्वों को गैस, धातु और अधातु में वर्गीकृत करने के 230 साल पूरे हो रहे हैं। साथ ही इस वर्ष मारग्रेट पेरी द्वारा फ्रांसियम की खोज के भी 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं।


Share this Post on :